हज़रते अबूबकर सिद्दीक का ईमान

hazrate abubakr Siddiqui
hazrate abubakr Siddiqui


हज़रते अबूबकर सिद्दीक़ रज़ी अल्लाह तआला अन्हु ने कभी बुत को सजदा ना किया।

चार (4) बरस की उम्र में आपके बाप बुत खाने में ले गए और कहा यह हैं तुम्हारे बुलंद व बाला खुदा इन्हें सजदा करो।
जब आप बुत के सामने तशरीफ ले गये फरमाया मैं भूखा हूं मुझे खाना दे मैं नंगा हूं मुझे कपड़ा दे मैं पत्थर मारता हूं अगर तू खुदा है तो अपने आप को बचा। वह बुत भला क्या जवाब देता आपने एक पत्थर उसको मारा जिसके लगते ही वह गिर पड़ा और क़ुव्वते खुदादाद की ताब ना ला सका।
बाप ने यह हालत देखी उन्हें गुस्सा आया उन्होंने एक थप्पड़ रुखसारे मुबारक पर मारा और वहां से आपकी मां के पास लाए सारा वाकया बयान किया मां ने कहा उसे उसके हाल पर छोड़ दो।
जब यह पैदा हुआ था तो गैब से आवाज़ आई थी के ऐ अल्लाह की सच्ची बंदी तुझे मुज़्दा हो उस आज़ाद बच्चे का आसमानों में उसका नाम सिद्दीक़ है।

हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलेही वसल्लम का यार व रफीक़ है। मैं नहीं जानती कि वह मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलेही वसल्लम कौन हैं और यह क्या मामला है।
उस वक्त से सिद्दीके अकबर रज़ीअल्लाह तआला अन्हु को किसी ने शिर्क की तरफ ना बुलाया यह रिवायत सिद्दीके अकबर रज़ी अल्लाह तआला अन्हु ने खुद मजलिसे अक़दस में बयान कि जब यह बयान कर चुके तो जिब्रीले अमीन हाज़िरे बारगाह हुए और अर्ज़ की अबू बकर ने सच कहा और वह सिद्दीक़ हैं।

hazrate abubakr Siddiqui
hazrate abubakr Siddiqui
हज़रते अबू बकर सिद्दीक रज़ि अल्लाह तआला अन्हु जबसे खिदमते अक़दस में हाज़िर हुए किसी वक्त जुदा ना हुए।

यहां तक के वफ़ात के बाद भी पहलू ए अक़दस में आराम फरमा हैं एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपने दाहिने दस्ते अक़दस में हज़रत सिद्दीक अकबर का हाथ लिया और बाएं दस्ते मुबारक में हज़रत उमर फारूके आज़म रज़िअल्लाह तआला अन्हु का हाथ लिया और फरमाया हम क़यामत के रोज़ यूं ही उठाए जाएंगे।
(अलमलफूज़)

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