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| islam ko kis tarah badnam kiya ja raha hai |
मोहम्मद सरताज नूरी
बरेली शरीफ
दोस्तों आज हम आपको यह बतायेंगे कि किस तरह से लोगों के दिमाग को कंट्रोल किया जा रहा है अखबार, मीडिया,और फिल्मों,टीवी,सीरियल के ज़रिए मुसलमानों को किस तरह से दहशत गर्द दिखा कर गैर मुस्लिमों के दिलों में खौफ पैदा किया जा रहा है और इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है।
आप को समझाने के लिए यहां एक मिसाल आपको देना चाहूंगा।
आप शॉपिंग मॉल में जाते होंगे वहां आपने देखा होगा एक बैकग्राउंड में सिलो म्यूज़िक बजता है वहां कोई फास्ट म्यूज़िक नहीं बजता है ।
इस बात पर आपने कभी गौर किया वहां सिलो म्यूज़िक ही क्यों बजता है?
क्योंकि जब धीमी आवाज़ में म्यूज़िक बजता है तो लोगों के चलने की रफ्तार हल्की हो जाती है। जब लोगों के चलने की रफ्तार धीमी होगी, जब लोग मॉल में धीरे-धीरे चलेंगे तो ज्यादा चीज़ों पर नज़र जायेगी शॉपिंग भी ज्यादा होगी।
तो आपने देखा कि किस तरह से सिलो म्यूज़िक के ज़रिये हमारे दिमाग को कंट्रोल किया जाता है और हमें पता भी नहीं चलता हमें इस बात का इहसास भी नहीं होता।
कैसे गैर मुस्लिमों के दिमाग को कंट्रौल करके उनके दिलों में नफरत पैदा की जा रही है?
एक शख्स न्यूज़ चैनल या अखबार के मालिक के पास जाता है और उससे एक डील करता है कि इतने दिन आपको मुसलमानों के खिलाफ कोई भी न्यूज़ दिखानी है या अखबार में छापनी है।
डील हो जाने के बाद अब लगातार मुसलमानों के खिलाफ न्यूज़ दिखाई जाती है और अखबारात में मुसलमानों के खिलाफ खबर छापी जाती है।
और इसी तरह फिल्मों, टीवी,सीरियल में जो विलन दिखाया जाता है वह अक्सर दाढ़ी वाला दिखाया जाता है वह मुसलमानों जैसी टोपी लगाया होता है पठानी सूट में दिखाया जाता है जिससे यह समझा जाए कि मुसलमान दहशत गर्द होते हैं।
लोगों के दिमाग में यह बात डालने की पूरी कोशिश की जा रही है कि मुसलमान दहशत गर्द होते हैं और अपने मुल्क से मोहब्बत नहीं करते हैं।
हालांकि इन बातों का हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है यह सारी बातें काल्पनिक है इस्लाम अमन व शांति वाला मज़हब है और मुसलमान अपने मुल्क से मोहब्बत कल भी करते थे और आज भी करते हैं।
हमारा क़िरदार
मुसलमानो इन सब के पीछे एक बहुत बड़ी वजह यह भी है कि आज हमने इस्लाम के पैगंबर की तालीमात पर अमल करना छोड़ दिया। हमने गैर मुस्लिम भाइयों को इस्लाम के बारे में बताया ही नहीं। इस्लाम क्या है? हमने बताया ही नहीं अपने नबी की सीरत के बारे में बताया ही नहीं हमने उन लोगों से इस्लाम के बारे में बात करना ही बंद कर दिया।
जब हमने इस्लाम के बारे में सही जानकारी उन तक नहीं पहुंचाई तो इस्लाम के दुश्मनों ने इस्लाम का गलत मतलब निकाल कर इस्लाम की गलत जानकारी लोगों को देने लगे और इस्लाम को बदनाम करने लगे।
मुसलमानों हमें चाहिए हम लोगों से बात करें इस्लाम के बारे में दूसरों को बताएं और इस्लाम के पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की सीरत को बयान करें पैगंबर की सीरत की किताबें हम खुद भी पढ़े और दूसरों को भी पढ़ने के लिए तोहफे में दें ताकि उन तक इस्लाम की सही जानकारी पहुंचे।

1 Comments
وااااہ بہت خوب
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