हजरत अली का जीवन परिचय|| Hazrate ali

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हज़रत अली का परिचय

आपका इसमे गिरामी अली है और कुन्नियय अबुल हसन और अबू तुराब है आप रदी अल्लाह अन्हु का लकब हैदर है आप रदी अल्लाह अन्हु के वालिद अबू तालिब और वाल्दा फातिमा रदी अल्लाह अन्हा बिंते असद हैं आप  रिश्ते में हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो तआला अलैह वसल्लम के चचा ज़ाद भाई और दामाद हैं।

हज़रत अली की परवरिश

हज़रत सैयदना अली मुर्तज़ा रदी अल्लाह अन्हु नबी करीम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की पैदाइश के तीस (30) बरस बाद मक्का मुकर्रमा में पैदा हुए आपके मुंह में हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने अपना लोआब डाला था और आपका नामे मुबारक अली भी हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने रखा है।

हज़रत सैयदना अली मुर्तज़ा रदी अल्लाह तआला अन्हु के वालिद अबू तालिब कसीरुल अयाल (ज़्यादा बच्चो वाले)  थे चुनांचे आप की परवरिश की ज़िम्मेदारी हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने संभाली और यूं आपने काशान ए नबूवत और आगोशे नबूवत में परवरिश पाई जब आप रदी अल्लाह तआला अन्हु की उम्र अभी दस (10) वर्ष थी उस वक्त नबी करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम पर पहली वही का नुज़ूल हुआ आप को यह सआदत भी हासिल है कि आप बच्चों में इस्लाम कुबूल करने वाले सबसे पहले हैं जबकि दीने इस्लाम कुबूल करने वाले अव्वलीन लोगों में से हैं।

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हज़रत सैयदना अली मुर्तजा रदी अल्लाह तआला अन्हु ने दीने इस्लाम कबूल करने के बाद अपनी जिंदगी दीने इस्लाम की तरक्की के लिए वक्फ कर दी और हर मुश्किल व मुसीबत की घड़ी में हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के शाना ब शाना खड़े रहे आपने कुफ्फार के साथ जंगो में बहादुरी के ऐसे ऐसे जौहर दिखाए जो तारीख के औराक़ में सुनहरे हुरूफ से दर्ज किए गए।

हुज़ूर का फरमान

हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम का फरमान है जिसने अली से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की और जिसने अली से दुश्मनी की उसने मुझसे दुश्मनी की और जिसने मुझसे मोहब्बत की उसने अल्लाह से मोहब्बत की और जिसने मुझ से दुश्मनी की उसने अल्लाह से दुश्मनी की

आपकी की खिलाफत

हज़रत सैयदना अली मुर्तजा रदी अल्लाह तआला अन्हु हज़रत सैयदना उस्मान गनी रदी अल्लाह अन्हु की शहादत के बाद मनसबे खिलाफत पर फाइज़ हुए आप का दौरे खिलाफत फितनों से भरपूर है और आपने हज़रत सैयदना उस्मान गनी रदी अल्लाह तआला अन्हु की शहादत के बाद खड़े होने वाले फितनों को बिलकुल रोकने की भरपूर कोशिश की आपने मदीना मुनव्वरा को शर पसंदो से महफूज़ बनाने के लिए कूफा को इस्लामी हुकूमत का दारुल हुकूमत ( राजधानी) बनाया और खुद अहलो आयाल (बाल बच्चे) के हमराह कूफा तशरीफ ले गए।

आप का विसाल

आप पर 17 रमजान उल मुबारक 63 हिजरी में इब्ने मुलजिम ने ब वक्ते नमाज़े फजर कातिलाना हमला किया जिससे आप शदीद ज़ख्मी हो गए और फिर आखिर 21 रमजान उल मुबारक 63 हिजरी को इस जहांने फानी से कूच फरमा गए आप की नमाजे़ जनाज़ा आपके साहबजादे हज़रत सैयदना इमाम हसन रदी अल्लाह तआला अन्हु ने पढ़ाई और आपको दारुल इमारत कूफा में मदफून (दफन) किया गया।

हज़रते अली उल मुर्तज़ा के सौ (100) किस्से (अल्लामा मोहम्मद मसऊद क़ादरी)

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