हिन्दुस्तान में इस्लाम कब आया और कैसे आया?

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नोट: नाज़िमे हिंदुस्तान आसिफ रज़ा सैफी साहब के अहम पैगाम को तमाम इन्सानो तक पहुंचाने की नियत से उनकी निज़ामत को यहां नक़ल किया गया है।


आज हम गुनाहों में मुब्तिला हो गए हम शराब की तरफ माइल हो गए लड़कियों का नंगा नाच देखने लगे लेकिन बुज़ुर्गों ने फरमाया है अपनी यह आंखें बर्बाद ना करो इन आंखों से तुम्हें कल हुज़ूर को क़ब्र में देखना है।

हुज़ूर गौसे आज़म रज़ी अल्लाह तआला अन्हु फरमाते हैं ये आंखें तुम्हें कुरआन पढ़ने के लिए दी गईं हैं यह ज़बान तुम्हें हुज़ूर की तारीफ करने के लिए दी गई है यह हाथ तुम्हें गरीबों की खिदमत करने के लिए दिए गए हैं अगर तुम इस ज़बान से कुरआन नहीं पढ़ सकते गरीबों को गालियां दोगे तो बेहतर यह है कि ज़बान जिसने दी है उसे वापस कर दो अपनी ज़बान और कहीं से लाओ तुम्हें शौक है बड़ा बरहना (नंगी) लड़कियों को देखने का गौसे आज़म फरमाते हैं यह आंखें जिसने दी हैं उसे वापस कर दो और बुरे काम करने के लिए अपनी आंखें कहीं और से लाओ तुम्हें यह हाथ मां के कदम को दबाने के लिए दिए गए हैं मां की खिदमत नहीं कर सकते तो यह हाथ वापस कर दो गरीबों पर ज़ुल्म करने के लिए अपने हाथ और कहीं से लाओ।

 हुज़ूर गौसे आज़म रज़ी अल्लाह तआला अन्हु ने दो बातों पर बहुत ज़ोर दिया एक बात यह थी कि हराम से बचो दूसरी बात यह थी कि गीबत ना करो इन दो बातों पर अमल कर लिया तो मुझे यकीन है कोई शराब नहीं पियेगा जब लोग हराम खाने के आदी हो जाते हैं तो वह शराब पीने के भी आदी हो जाते हैं 

और जब लोग  गीबत करने लगते हैं अपने भाई की तो मदीने वाले आका के भी गुस्ताख हो जाते हैं गीबत से बचो हराम से बचो आज से एक काम और करें आज जब बाज़ार जाएं एक बात पर अमल करें जो सामान आप खरीदें जब दुकानदार तोल कर तुम्हें दे अगर उसमें एक दाना चीनी का भी ज़्यादा हो तो उसे वापस कर दीजिएगा दुकानदार आपका चेहरा दिखेगा आपको उनसे कहना है मेरे मज़हब में यह चीज़ जायज़ नहीं है मुझे मेरे नबी ने मना फरमाया है 500 ग्राम मैंने आपसे जो सामान खरीदा उसमें एक दो ग्राम मुझे कम दें वह चलेगा लेकिन ज़्यादा नहीं चलेगा हाथ जोड़ता हूं जितने पैसे दे उतना सामान लें आप किसी दूसरे के तराज़ू के पल्ले पर झुकने वाली वह चीज़ जिसकी क़ीमत आपने नहीं दी है उसे अपने घर ना लाएं जिसने अपनी मां का जायज़ दूध पिया है वह हुज़ूर के इस क़ौल पर अमल करेगा।


 मुसलमानो आपने कभी सोचा हिंदुस्तान में इस्लाम कैसे फैला आपने किसी से पूछा हिंदुस्तान में इस्लाम कैसे आया मालावार की ज़मीन पर नबी (हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम) के कुछ गुलाम रेशम का कपड़ा लेकर आए थे जब बिज़नेस करने के लिए यहां के गैर मुस्लिम जो बिज़नेस करते थे पहुंच गए समुंद्र के किनारे बोले आप लोग जो सामान लेकर आए हैं उसका नाम क्या है? मुसलमानों ने कहा रेशम का कपड़ा है।


तो गैर मुस्लिमों ने कहा क़ीमत क्या है? तो मुसलमानों ने सारे कपड़ों की क़ीमत बताई लेकिन जो सबसे क़ीमती कपड़ा था यहां के हिंदू भाइयों ने पूछा यह रेशम का कपड़ा है? कहा हां पूछा इसकी क़ीमत कितनी है? तो मुसलमानों ने कहा यह सबसे सस्ता है तो उन लोगों ने कहा यह तो रेशम का कपड़ा है यह तो सबसे महंगा होना चाहिए यह सबसे सस्ता क्यों ह? तो मुसलमानों ने कहा था यह पूरे गट्ठर पूरे थान में एक बालिस्त कपड़ा खराब है इसलिए यह सबसे सस्ता है तो हिंदू भाइयों ने जब यह सुना तो एक जुमला कहा सुनिए फिर नबी के गुलामों का जुमला सुनिए हिंदू भाइयों ने कहा

अपने पने ऐब को छुपाकर माल बेचना मुझको आता है
अपने ऐब को दिखा कर के माल बेचने का तरीका तुम्हें किस ने सिखा दिया।

मुसलमानों ने कहा मुझे मेरे नबी ने बताया है कहा इसमें तुम्हारे नबी कौन हैं? कहा वह यहां नहीं हैं वह मदीने शरीफ में हैं उनका इंतक़ाल हो गया है उन लोगों ने कहा जब उनका इंतकाल हो गया है तो अब अमल क्यों करते हो उनकी बात पर? तब मुसलमानों ने कहा मेरे नबी अभी भी दुनिया को वैसे ही देखते हैं जैसे लोग अपनी हथेली देखते हैं पहली बार हिंदुस्तान में मालाबार की सरज़मीन पर गैर मुस्लिमों ने सबसे पहले इस्लाम क़ुबूल किया

मुसलमानो तुम कभी ना सोचना तुम्हें कोई नहीं देख रहा है मदीने वाले आक़ा तो देख रहे हैं इसलिए हराम चीज़ कभी अपने घर ना लाना।

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