हज़रत उमर फारूके आज़म रदि अल्लाह तआला अन्हु

hazrat e umar,hazrat umar e farooq
hazrat e umar

मौलाना तौहीद अहमद खाँ रज़वी बरेली शरीफ
नामः - उमर
कुन्नियत: - अबू हफ्स
लकबः - फ़ारूक़
वालिदः - ख़त्ताब बिन नुफैल 
वालिदा : - हनतमा बिन्त हाशिम हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु दूसरे ख़लीफ़ा और अशरा - ए मुबश्शरा से हैं । तारीखे इस्लाम में यही एक ज़ात हैं जिसके लिये आकाए दोजहाँ सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मुसलमान होने के लिये दुआ फ़रमाई और जिसके बारे में हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर नुबुव्वत का दरवाज़ा बन्द न होता तो मेरे बाद उमर नबी होते । हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने ख़िलाफ़त के काम सुपुर्द करने के लिये हज़रत अब्दुर रहमान बिन औफ़ , हज़रत उसमाने गनी , हज़रत सईद बिन जैद , हज़रत उसैद और दूसरे अन्सार और मुहाजिरीन से मशवरा तलब फरमाया तो सभी ने यही कहा कि आपके बाद सबसे बेहतर हज़रत उमर फारूके आज़म रदि अल्लाहु तआला अन्हु हैं , इस तरह आप ने हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु को अपना ख़लीफ़ा और जानशीन मुकर्रर फ़रमाया।
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चुनान्चे जब लोगों को मालूम हुआ तो लोगों में इस तरह की चेमीगोइयाँ शुरू होने लगी कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने हमारे ऊपर एक ऐसा आदमी मुसल्लत कर दिया जो सबसे ज़्यादा सख़्त मिज़ाज है , यह तो हमें उस वक़्त नहीं बख्शते थे जब्कि हमारे दर्मियान नबी - ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम थे , फिर उनके बाद हमारे वाली हज़रत अबू बक्र थे , अब तो यह ख़लीफ़ा नामज़द हो गये और सारे काम इनसे मुतअल्लिक़ हो गये , लिहाज़ा अन्दाज़ा करो कि अब उनके तशद्दुद और सख़्त मिज़ाजी का कैसा आलम होगा । इस तरह सारे लोग आप से मरऊब हो गये। आपको जब लोगों के खौफ का पता चला तो आप ने सबको बुलाकर एक खुतबा दिया जिसमें आप ने फरमाया बिला शुबह अब मैं ख़लीफ़ा नामज़द हो गया हूँ और सुनो अब मेरी शिद्दत दोगुनी हो गई है मगर यह उसके लिये है जो मुसलमानों पर जुल्मो ज्यादती करे, क़सम ख़ुदा की मैं ऐसे ज़ालिम को ज़मीन पर लिटाकर एक रुखसार ज़मीन पर और एक रुखसार कदम के नीचे उस वक़्त तक रहूंगा जब तक कि वह हक कुबूल न कर ले और हाँ सुनो मैं मुसलमानों के लिये मोम से ज़्यादा नरम हो गया आपके दौरे ख़िलाफ़त में बहुत सारे इलाके फतह हुये, जिसमें इराक, ईरान, शाम, मिस्र, जज़ीरा, दयारे बक्र, आरमीनिया, आज़रबाईजान, फारिस के शहर और खुज़िस्तान बगैरह शामिल हैं।
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 हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने बारगाहे खुदावन्दी में दुआ की थी कि ऐ अल्लाह ! मुझे दरजा - ए शहादत और दयारे हबीब में मौत अता फरमा। 26 जिल्हिज्जा 24 हिजरी को आप फ़जर की नमाज़ के लिये मस्जिदे नबवी पहुँचे, इमामत के लिये मुसल्ले पर आये और मामूल की तरह सफ़ सीधी करने का हुक्म दिया इतने में हज़रत मुगीरा बिन शोबा का ईरानी गुलाम अबू लूलुऊ फिरोज़ आपके पीछे सफ़ में आकर खड़ा हो गया और तकबीरे तहरीमा शुरू होते ही उसने आप पर दो धारी खन्जर से ऐसा वार किया कि आप ज़मीन पर गिर गये । कुछ लोग अबू लूलुऊ को पकड़ने को दौड़े तो उसने 12 - 13 आदमियों को ज़ख्मी करके खुदकुशी कर ली । बकिया नमाज़ हज़रत अब्दुल रहमान बिन औफ़ ने पूरी की। जब सूरज नमूदार हुआ तो हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु को होश आया और आप ने हमलावर के बारे में पूछा। अबू लूलुऊ फ़िरोज़ का नाम बताया गया। आख़िर में आप ने साहबजादे हज़रत अब्दुल्लाह को उम्मुल मोमिनीन हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदि अल्लाहु तआला अन्हा के पास यह कहकर भिजवाया कि मुझे अपने दोस्तों के पहलू में दफ़न होने की तमन्ना है इसके लिये इजाज़त तलब करतीं हैं। हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदि अल्लाहु तआला अन्हा ने फ़रमाया कि यह ख्वाहिश तो मेरी भी थी कि मैं हुजूर के पहलू में दफन हूं मगर मैं अपनी ज़ात पर उमर को तरजीह देती हूँ। जवाब मिलने पर आप बेहद खुश हुये और शुक्रे इलाही बजा लाये । विसाल : - 1 मुहर्रमुल हराम 24 हिजरी में | आपका विसाल हुआ, हज़रत सुहेब रूमी रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और आप अपने दोस्तों के मुबारक पहलू में दफ़न हुये।

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