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| hazrat abubakar siddique |
हज़रत सैयदना अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु की विलादत के बारे में अल्लामा इब्ने हजर असकलानी रहमतुल्लाह अलैह बयान फरमाते हैं कि हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह तआला अन्हु पांच सौ बहत्तर (572) ईस्वी में पैदा हुए।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु के वालिद बुजुर्ग बार हज़रत उस्मान रदी अल्लाह अन्हु थे जो अपनी कुन्नियत कुहाफा से मशहूर थे आप रदी अल्लाह अन्हु का शजरा ए नसब मर्राह बिन कअब पर हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम से जा मिलता है।
हज़रत सैयदना अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह तआला अन्हु की वालिदा का नाम हज़रत सलमा रदी अल्लाह अन्हा है जो अपनी कुन्नियत उम्मुल खैर से मशहूर हुईं।
हज़रत सैयदना अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु को दीन ए इस्लाम कुबूल करने में अव्वलियत हासिल है और आपका शुमार उन सहाबा ए किराम रदी अल्लाह अन्हुम में होता है जिन्होंने इबतिदा में ही हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की दावत पर लब्बैक कहा आप रदी अल्लाह अन्हु ने इस्लाम कबूल करने के बाद अपनी जान व माल सब कुछ राहे खुदा में वक्फ कर दिया।
हज़रत सैयदना अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु को यह एज़ाज़ भी हासिल है कि आपकी चार नस्ले साहबी ए रसूलुल्लाह थीं और आपने बेशुमार गुलामों को जो इस्लाम कुबूल कर चुके थे खरीद कर आजाद फरमाया था।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु ने हर जंग में हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शाना ब शाना हिस्सा लिया और हर मुश्किल घड़ी में हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के साथ खड़े रहे और किसी भी आज़माइश में ईमान मुतजलज़िल न हुआ आपने हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की हयाते ज़ाहिरी में ही लोगों की नमाज़ में इमामत फरमाई और हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के ज़ाहिरी विसाल के बाद पहले खलीफा मुन्तखिब हुए।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु ने अपने जमाना ए खिलाफत में उन तमाम उमूर को मलहूज़ रखा जो हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के ज़माने में जारी थे और जिनके मुताल्लिक हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम का वाज़ेह हुकुम मौजूद था।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदी अल्लाह अन्हु का विसाल इक्कीस (21) जमादि उल आखिर तेरा (13) बरोज़ सोमवार (पीर) को तिरेसठ (63) बरस की उम्र में हुआ।
इब्ने सअद की रिवायत है के ब वक्ते विसाल आपकी उम्र मुबारक उतनी ही थी जितनी हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की थी और आपको हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के पहलू में मदफून किया गया।
बयां हो किस ज़बां से मर्तबा सिद्दीके अकबर का
है मकामें यारे गार महबूब ए खुदा सिद्दीके अकबर का
हज़रते अबू बकर सिद्दीक के सौ (100) किस्से (अल्लामा मोहम्मद मसऊद क़ादरी)
हज़रते अबू बकर सिद्दीक के सौ (100) किस्से (अल्लामा मोहम्मद मसऊद क़ादरी)

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