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| manqabat aala hazrat |
अज़हर फारुक़ी साहब
झुका कर देखते हो सर कहां पर आला हज़रत हैं
उठाओ सर वह देखो आसमां पर आला हज़रत हैं
ज़रा सा इल्म लेकर आला हज़रत बनने निकले हो
क़यामत तक ना पहुंचोगे जहां पर आला हज़रत हैं
वह दिल हक़ बात समझेगा ज़बां हक़ बात बोलेगी
के जिस दिल में नबी हैं जिस जगह पर आला हज़रत हैं
हिला सकता नहीं इक ईंट भी कोई मज़ारों की
हिफाज़त के लिए हर आस्तां पर आला हज़रत हैं
किताबें नजदियों की हों या चेहरे नजदियों के हों
कहीं पर हों निशां हर एक निशा पर आला हज़रत हैं
तिहत्तर रास्ते हैं सामने तो क्या हुआ अज़हर
जहां से राहे जन्नत है वहां पर आला हज़रत हैं
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| manqabat aala hazrat |
सगे रज़ा नसीम आसी पीर भौड़ा बरेली शरीफ
शाहे तैबा की इनायत आला हज़रत आप हैं ।
सुन्नियों पर रब की रहमत आला हज़रत आप हैं
दुनिया वाले आपको कैसे समझ पायें भला ।
गौसे आज़म की करामत आला हज़रत आप है ।
देखकर वारिस पिया ने यूं कहा अहमद रज़ा ।
हैं यहाँ पर सारे हज़रत आला हज़रत आप है ।
सुन्नियों की ही नहीं कहते हैं सब अहले नज़र ।
सारी दुनिया की ज़रूरत आला हज़रत आप हैं ।
आपके गुस्ताख को हम छोड़ने वाले नहीं ।
क्योंकि हर सुन्नी की इज़्ज़त आला हज़रत आप हैं ।
झूठ है धोखा है ये नजदी फसाना है मगर ।
चाँद के जैसी हकीक़त आला हज़रत आप हैं ।
आरजू - ए - नारे दोज़ख है वहाबी राफजी ।
आरजू - ए - बागे जन्नत आला हज़रत आप हैं ।
आज भी मेहमान हैं उस घर में रब की रहमतें ।
एक पल जिस घर की ज़ीनत आला हज़रत आप हैं ।
मिस्ले परवाना ये सुन्नी क्यों न हो तुम पर फिदा ।
आशिके शमऐ रिसालत आला हज़रत आप हैं ।
आँख वाले कह रहे हैं ऐसा लगता है हमें ।
देखकर ताजे शरीअत आला हज़रत आप हैं ।
इल्म वाले कह रहे हैं आज शहरे इल्म में ।
चलती है जिसकी हुकूमत आला हज़रत आप हैं ।
सुन्नियों की शान अब कोई घटा सकता नहीं ।
सुन्नियों की शानो शौक़त आला हज़रत आप हैं ।
मेरी क्या औकात है मैं आपकी क्या मिदहत लिखू ।
हाँ मगर आसी की हिम्मत आला हज़रत आप हैं ।


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