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| na samjhoge to mit jaoge |
मोहम्मद सरताज नूरी
बरेली शरीफ
आज मुसलमान हर जगह परेशान हैं हर जगह मुसलमानों को सताया जा रहा है कहीं गाये की हिफाज़त के नाम पर मुसलमानो को सताया जा रहा है कहीं मुसलमानो पर मुसलमान होने की वजह से ज़ुल्म किया जा रहा है आखिर ऐसा क्यों है? सारी क़ौमें मुसलमानों पर ही ज़ुल्म क्यों कर रही हैं क्या हमने कभी यह सोचा? मुसलमानों को अपने गिरेबान में झांकने की ज़रूरत है।
मुसलमानों की बदहाली की दो सबसे बड़ी वजह हैं पहली सबसे बड़ी वजह यह है हमने क़ुरआन की तालीम को छोड़ दिया मुसलमानों याद रखो जो क़ौम शरीअत और अल्लाह तआला की किताब को छोड़कर दूसरे क़ानूनों के मुताबिक फैसले करने लगती है अल्लाह तआला उसे कभी कामयाब नहीं करता और वह तबाही की तरफ बढ़ती चली जाती है।
जो क़ौम अपने पैगम्बर की नाफरमानी करना शुरू कर देती है अल्लाह तआला उस क़ौम पर दूसरी क़ौमों को हावी और मुसल्लत कर देता है।मुसलमानो हमारे इस्लाफ कामयाब थे क्योंकि वह कुरआन की तालीम पर अमल करते थे।
अल्लामा इक़बाल फरमाते हैं
वह मुअज़्ज़ज़ थे ज़माने में मुसलमां होकर
और तुम खुआर हुए तारिके कुरआं होकर
दूसरी बड़ी वजह है हमारे आपसी इख्तिलाफात जिसकी वजह से गैर क़ौमों का मुसलमानों पर हावी होना आसान हो गया। गैर क़ौमें जानती हैं मुसलमान कितने गिरोह में बटे हैं जब क़ौमें फिरक़ो और गिरोह में बट जाती हैं तो कमज़ोर हो जाती हैं।
हैरत होती है आज हर गिरोह में एक नया मुजद्दिद बना बैठा है हर गिरोह में उलमा मशाइख़ मौजूद हैं हर गिरोह में का़ज़ी व क़ाज़ीउल क़ुज़्ज़ात मौजूद हैं फिर भी मुसलमानों की हालत बद से बदतर हो रही हैं।
मुसलमानों हमें चाहिए हम अपने आमाल का जायज़ा लें अपने अख़लाक़ व क़िरदार को बेहतर बनाएं हम अपने आपसी इख्तिलाफात ख़ानक़ाहों मदरसों और मस्जिदों तक महदूद रखें हम जब दुनियबी स्टेज पर आएं तो हम सारे मुसलमान एक नज़र आएं।
ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदी मुसलमानों
तुम्हारी दास्तां तक भी ना होगी दासतानों में
अल्लामा इक़बाल

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